जनजाति समाज का गौरवशाली अतीत - ऐतिहासिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक योगदान
DOI:
https://doi.org/10.69968/ijisem.2025v4i189-95Keywords:
जनजातीय समाज, गौरवशाली अतीत, सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक योगदान, सामाजिक संरचना, आध्यात्मिक परंपराएं, पर्यावरण संरक्षण, सामुदायिक जीवनAbstract
"जनजाति समाज का गौरवशाली अतीत - ऐतिहासिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक योगदान" विषय पर आधारित यह अध्ययन आदिवासी समाज की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक धरोहर का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है। जनजातीय समाज का अतीत न केवल भारत के समृद्ध इतिहास का अभिन्न हिस्सा है, बल्कि उनकी परंपराएं, जीवनशैली और आध्यात्मिक मान्यताएं आधुनिक समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत भी हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से जनजातीय समाज ने अपनी सांस्कृतिक विविधता और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग, पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक जीवन के आदर्शों को स्थापित किया। भील, गोंड, संथाल और नागा जैसे जनजातीय समुदायों ने कला, शिल्प और लोकगीतों के माध्यम से भारतीय संस्कृति को समृद्ध किया है। सामाजिक दृष्टिकोण से, जनजातीय समाज सामूहिकता, समानता और सहयोग के सिद्धांतों पर आधारित रहा है। उनकी सामाजिक संरचनाएं सामूहिक विकास को बढ़ावा देती हैं और स्त्री-पुरुष समानता का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। आध्यात्मिक दृष्टि से, प्रकृति के प्रति गहरा सम्मान और उनकी आध्यात्मिक परंपराएं समाज को संतुलित और शांति से जीने का मार्ग दिखाती हैं। इन परंपराओं में लोककथाएं, पर्व, और अनुष्ठान न केवल एकता का प्रतीक हैं, बल्कि आध्यात्मिक समृद्धि का आधार भी हैं। यह अध्ययन जनजातीय समाज के योगदान को सम्मानित करते हुए उनके संरक्षण और विकास की आवश्यकता पर भी जोर देता है। जनजातीय समाज की धरोहर और उनके मूल्यों का संरक्षण ही भारत की सांस्कृतिक विविधता का आधार है।
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