वैदिक सामाजिक सौहार्द के समन्वयक - पण्डित दीनदयाल उपाध्याय

Authors

  • रेनू शर्मा सहायक प्राध्यापक – संस्कृत, टीकाराम यादव स्मृति स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मोठ (झांसी)

DOI:

https://doi.org/10.69968/ijisem.2025v4i1358-365

Keywords:

पंडित दीनदयाल उपाध्याय, एकात्म मानववाद, अंत्योदय, राष्ट्रवाद, सामाजिक समरसता, आत्मनिर्भरता, वैदिक सामाजिक सौहार्द

Abstract

पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय समाज और राजनीति के एक महत्वपूर्ण विचारक थे, जिन्होंने ‘एकात्म मानववाद’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उनके विचारों ने भारतीय राजनीति, समाज और अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी, जो पश्चिमी विचारधाराओं से भिन्न थी। उन्होंने राष्ट्रवाद, लोकतंत्र, समाजवाद और पूंजीवाद की पारंपरिक परिभाषाओं की सीमाओं को उजागर किया और भारतीय संदर्भ में एक नई विचारधारा की आवश्यकता पर बल दिया। उनके विचारों में अंत्योदय की अवधारणा महत्वपूर्ण थी, जिसमें समाज के सबसे कमजोर व्यक्ति तक विकास की रोशनी पहुँचाने की बात कही गई। उन्होंने सामाजिक समरसता, आत्मनिर्भरता और भारतीय संस्कृति के अनुरूप नीतियों को बढ़ावा देने पर बल दिया। यह समीक्षा पत्र उनके विचारों के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रभावों का विश्लेषण करता है।

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https://doi.org/10.33545/26649845.2020.v2.i1a.13

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28-03-2025

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Articles

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[1]
शर्मा र. 2025. वैदिक सामाजिक सौहार्द के समन्वयक - पण्डित दीनदयाल उपाध्याय. International Journal of Innovations in Science, Engineering And Management. 4, 1 (Mar. 2025), 358–365. DOI:https://doi.org/10.69968/ijisem.2025v4i1358-365.