कृषक जीवन के विविध आयाम (प्रेमचंद के उपन्यास साहित्य के विशेष संदर्भ में)

Authors

  • सुधीर कुमार गौतम सहायक आचार्य, एकलव्य विश्वविद्यालय, दमोह (म.प्र.)
  • अदिति ठाकुर शोध छात्रा, हिन्दी विभाग

Abstract

वारेन हेस्टिंग्ज का यह मत था कि समस्त भूमि सरकार की है और जमींदार केवल बिचौलिए मात्र हैं। हेस्टिंग ने उन जमींदारों के अस्तित्व को स्वीकार किया. जिसमें इन जमींदारों से मिलने वाली बोली के बराबर भू-राजस्व कम्पनी को देने की सामर्थ्य थी। 1772 में पंचवर्षीय बंदोवस्त हुआ। इस बंदोवस्त का आशय जमींदारी पर मालगुजारी पाँच वर्ष के लिए निश्चित हुई। इसके साथ ही मालगुजारी की वसूली उस व्यक्ति को हो जो सबसे अधिक दे सके। इसके परिणाम के संबंध में डॉ. ताराचंद के अनुसार "इसका फल यह हुआ, किसानों द्वारा रैयतों का पूर्ण निष्कासन और दमन. कर्तव्यच्युत जमींदार फरार होते किसान और काम से भागते हुए रैयत। यह भारत के ग्रामीण संगठन में पहली दरार थी।[1] जब इसके परिणाम विरुद्ध हुए तो हेस्टिंग्ज ने बंदोवस्त का स्वरूप बदलकर उसे एक वर्षीय कर दिया। लेकिन राजस्व की दरें तो ऊंची ही रहीं. जिससे रैयत पर अत्याचार पूर्ववत् रहे। "अंत में 1793 में कार्नवालिस ने स्थायी बंदोवस्त की घोषणा की। जमींदारों को भूमि का स्वामी मानकर उसे भूमि के समस्त अधिकार प्रदान किये गये। जमींदार को पूरे लगान का 10/11 भाग सरकार को देना पड़ता था और नियत तिथि पर राजस्व न देने पर उसकी भूमि नीलाम की जा सकती थी।"[2] इस व्यवस्था में राजस्व ज्यादा बढ़ने से जमीदार और काश्तकार तो बहुत दुखी थे लेकिन सरकार खुश थी।

References

[1] आधुनिक भारत का इतिहास रामलखन शुक्ल, हिन्दी माध्यम, दिल्ली, 1960, पृ. 44

[2] वही. पृ. 44

[3] प्रेमचंद कथा साहित्य समीक्षा और मूल्यांकन डॉ. धर्मध्वज त्रिपाठी, प्रेम प्रकाशन मंदिर, दिल्ली, प्रथम संस्करण 1993, पृ. 164

[4] प्रेमचंद और उनका युग बलभद्र तिवारी, प्रेमचंद साहित्य संदर्भ, पृ. 143

[5] प्रेमचन्द, साहित्यिक विवेचना, नंददुलारे वाजपेयी, पृ. 108-109

[6] गोदान, प्रेमचंद, पृ. 537

[7] रंगभूमि, मुंशी प्रेमचंद, साहनी पब्लिकेशन, दिल्ली, 1965, पृ. 461

[8] प्रेमचंद कथा साहित्य, पूर्वोक्त. पृ. 247

[9] कर्मभूमि. प्रेमचंद पूर्वोक्त, पृ. 355

[10] मेरठ विश्वविद्यालय, हिन्दी परिषद्, शोध पत्रिका. पृ. 177. मार्च 198

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Published

13-05-2024

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How to Cite

[1]
सुधीर कुमार गौतम and अदिति ठाकुर 2024. कृषक जीवन के विविध आयाम (प्रेमचंद के उपन्यास साहित्य के विशेष संदर्भ में). International Journal of Innovations in Science, Engineering And Management. 3, 2 (May 2024).